वंदे बनाम गंदा नहीं अभिनंदनीय आत्मनिर्भर भारत

वंदे बनाम गंदा नहीं अभिनंदनीय आत्मनिर्भर भारत .......डाॅ0 आशीष कुमार मैसी कोविड-19 मात्र रहस्यमय वायरस (विषाणु) ही नहीं यह 21वीं शताब्दी के स्थापित इतिहास की परिभाषा को युगांतकारी ढंग से बदलाव लाने वाला वाहक भी है। जेठ के महीने में दिसम्बर माह वाली गुलदाउदी का खिलना, लगभग 150 किमी दूर से हिमालय के दर्शन, सब अप्रत्याशित घटनायें हैं। जिस माँ गंगा की सफाई के लिये पिछले 20 वर्षाें से विशेष योजनायें, प्राधिकरण एवं मंत्रालय स्थापित हुये। परन्तु जो कार्य हजारो करोड़ के बजट के बावजूद ‘‘नमामि गंगे’’ भी नहीं कर पाई, उसे कोविड-19 के लाॅकडाउन ने बिना किसी खर्च के ही चमत्कारिक ढंग से साकार कर दिखाया। लगता है कि दुनिया का इतिहास प्रो-कोविड और पोस्ट-कोविड खेमों में बांटकर ही आने वाली पीढियाँ समझने को मजबूर होंगी। इधर भारत अपनी आजादी के समय से ही इण्डिया और भारत में विभाजन करता आया है। पत्रकारिता की समसामायिक चर्चा इण्डिया बनाम भारत के इर्द-गिर्द घूमती थी। शिक्षा के क्षेत्र में कभी यह विभाजन काॅन्वेंटी शिक्षा बनाम सरकारी शिक्षा, केंद्रीय बोर्ड बनाम राज्य बोर्ड करता वही आज अर्न्तराष्ट्रीय बोर...